Who Destroyed Nalanda University – किसने तबाह किया विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

Nalanda University – आज कोई बेहतरीन यूनिवर्सिटीज की बात करे तो हमारे दिमाग में आता है कैम्ब्रिज , येल और ऑक्सफ़ोर्ड जैसे नाम ,लेकिन आज से करीब 1500 साल पहले कहानी कुछ और ही थी , क्युकी भारत में थी एक ऐसी यूनिवर्सिटी जो आज दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटीज में से एक है – “नालंदा”। नालंदा शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिल कर बना है नालं + दा , नालं जिसका अर्थ होता है कमल और दा जिसका अर्थ होता है कुंड या सरोवर। इस यूनिवर्सिटी में ज्ञान का भण्डार था , यहाँ सिर्फ धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं बल्कि साहित्य(Literature) , धर्मशास्त्र (Theology) , तर्क (Logic) , चिकित्सा (Medicine) और दर्शन (philosophy) जैसे कई विषय पढ़ाये जाते थे। सभी विषयो की अच्छी से अच्छी पढ़ाई हो इसे सुनिश्चित करने के लिए बनायीं गयी था 10 मंजिला पुस्तकालय (Library) , जिसमे लाख या 2 लाख नहीं करीब 90 लाख से ज्यादा हस्तलिपि (manuscript) थी। यह विश्वविद्यालय 700 साल तक विश्व को ज्ञान देती रही ।

Attack On Nalanda – नालंदा पर हमला

Nalanda University – लेकिन नालंदा ने कई बार हमलो की मार को भी झेला , आखिरकार 12वी शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने नालंदा को जला दिया और माना जाता है की इसका पुस्तकालय तीन महीने तक जलता रहा। ज्ञान का वो खजाना जो संभालकर रखा गया था धुवे में खो गया। उस वक्त नालंदा जब कई ऊंचाइयों को छू रही थी वह एक महा विहार याने की एक विशाल बौद्ध मठ का हिस्सा थी , जिसकी खंडहर आज भी 57 एकड़ में फैली नज़र आती है। कई अभिलेखों के मुताबिक नालंदा एक आम के बगीचे में बनी थी , जिसे 500 व्यापारियों ने गौतम बुद्ध को तोहफे में दिया था। वही अगर हम पुरातत्व विभाग की माने तो नालंदा को 5वी शताब्दी ईसा पूर्व में गुप्तकाल में बनाया गया था , गुप्तकाल में इसका और भी विकास हुआ और 7वी शताब्दी तक ये एक विहार से महाविहार बन चूका था।

Education System – नालंदा में शिक्षा का स्तर

Nalanda University – नालंदा विश्वविद्यालय एक महान विश्वविद्यालय था जहा पर दुनिया के कोने कोने से लोग पढ़ने आते थे , विश्वविद्यालय की सीमा 10 किमी तक बताई गई है। अगर हम समझे तो सभी विषयो में से एक सबसे महत्वपूर्ण विषय जो की 1500 साल पहले नालंदा में पढ़ाया जाता था , जो की चिकित्सा विद्या (Medicine) था। पूरे इलाके में शिष्यों की हलचल मचे रहती थी क्युकी हर रोज सैकड़ो कक्षाऐ लगती थी। मशहूर चीनी बौद्ध भिक्छु ह्वेन त्सांग सन 629 में भारत आए और उन्होंने 15 साल नालंदा में बिताए, ह्वेन त्सांग ने अपने यात्राओं के विवरण में नालंदा के बारे में लिखा है की मैंने नालंदा में ऊँचे ऊँचे छत देखे , चार मंजिलो वाले मठो को देखा , नौ मंजिला ऊँचा महान पुस्तकालय और 1500 अध्यापक जो छात्रों के लिए समर्पित थे।उन्होंने आगे लिखा की मैंने कोरिया ,जापान ,चीन के साथ साथ और भी बहुत से देशो के छात्रों को अपने साथ पढ़ते देखा। ह्वेन त्सांग ने 15 साल बाद भारत से चीन जाते समय अपने साथ 657 महत्वपूर्ण हस्तलिपि अपने साथ ले गए। नालन्दा की कई पांडुलिपियाँ तिब्बत ले जाई गईं , जिसे तिब्बती भाषा में अनुवाद किया गया ।

Revival Of Nalanda – नालन्दा का पुनरुद्धार

Nalanda University

नालंदा को पुनर्जीवित किया जा रहा है, प्राचीन नालन्दा से 10 किमी की दूरी पर नया नालंदा यूनिवर्सिटी का निर्माण किया गया है। नालंदा के पुनरुद्धार का प्रस्ताव पूर्व राष्ट्रपति श्री ऐ पि जे अब्दुल कलम जी के द्वारा किया गया था। उसके बाद नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में 25 नवंबर 2010 में स्थापित हुआ। इसके बाद वर्तमान की मोदी सरकार ने भी पिछले 10 साल में लगातार नालंदा के बेहतरी की है , वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय सभी अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है।
1) 6 मंजिला स्तूप के अकार का सेंट्रल लाइब्रेरी
2) 1000 सीटों वाला डाइनिंग हॉल
3) मैडिटेशन हॉल
4) एमफेथेटर और ओपन थिएटर
5) 6.5 मुड़क सोलर फार्म
6) 300 एकड़ में वृक्षारोपण
7) 500 लोगो की क्षमता का योग हॉल ,आदि

Source – विकिपीडिया, किताबे आदि

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